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संसद १७ दिन से ठप्प

samanvay
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आज चिंतन का विषय है कि संसद १७ दिन से ठप्प पडी है वो भी एक ऐसे विषय पर जिसके लिए पछ-विपच दोनों ही उत्तर दाई है ! कांग्रेस में पी वी नर्सिंघाराव से लेकर सुरेश कलमादी और सहयोगी दल के ऐ राजा, बी जे पी के येदुरप्पा सभी हमाम में नंगे है पर नेताओं को एक-दूसरे को नगा करने की होड़ लगी है और संसद को अखाड़ा बना रखा है ,जिससे अरबों रुपयों का देश को नुक्सान हो चुका है !सरकारी भ्रष्टाचार पर जांच और कार्यवाई के लिए बनाई गई सबसे बड़ी ऐजेसी सैंट्रल विजिलेंस कमिशन के मुखिया ने तो मानों सभी के मुंह पर ताला लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट तक की टिप्पणियो और निर्देशों के बावजूद कई आरोंपो से घिरे सीवीसी थॉमस ने इस्तीफा तक देने से इंकार करके साबित कर दिया है कि जिसकी लाठी उसी की भैंस। सीवीसी और येदुरप्पा के अलावा देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के पूरे सत्र मे सत्ता के नशे मे मस्त कांग्रेस ने पूरे विपक्ष और देकी जनता को जो पैगाम दिया है उससे तो यही लगता है कि मूल्यों की हत्या करना अब कोई बड़ी बात नहीं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि एक आरोप से बचने के लिए सबसे आसान तरीका है उल्टा दूसरा आरोप शिकायतआज चिंतन का विषय है कि संसद १७ दिन से ठप्प पडी है वो भी एक ऐसे विषय पर जिसके लिए पछ-विपच दोनों ही उत्तर दाई है ! कांग्रेस में पी वी नर्सिंघाराव से लेकर सुरेश कलमादी और सहयोगी दल के ऐ राजा, बी जे पी के येदुरप्पा सभी हमाम में नंगे है पर नेताओं को एक-दूसरे को नगा करने की होड़ लगी है और संसद को अखाड़ा बना रखा है ,जिससे अरबों रुपयों का देश को नुक्सान हो चुका है !सरकारी भ्रष्टाचार पर जांच और कार्यवाई के लिए बनाई गई सबसे बड़ी ऐजेसी सैंट्रल विजिलेंस कमिशन के मुखिया ने तो मानों सभी के मुंह पर ताला लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट तक की टिप्पणियो और निर्देशों के बावजूद कई आरोंपो से घिरे सीवीसी थॉमस ने इस्तीफा तक देने से इंकार करके साबित कर दिया है कि जिसकी लाठी उसी की भैंस। सीवीसी और येदुरप्पा के अलावा देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के पूरे सत्र मे सत्ता के नशे मे मस्त कांग्रेस ने पूरे विपक्ष और देकी जनता को जो पैगाम दिया है उससे तो यही लगता है कि मूल्यों की हत्या करना अब कोई बड़ी बात नहीं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि एक आरोप से बचने के लिए सबसे आसान तरीका है उल्टा दूसरा आरोप शिकायत कर्ता पर ही मढ़ दो। ना जांच ना कार्यवाई बाहरसे बाहर ही समझौता। देश की वर्तमान स्थिति को देख कर यही लगता है कि हर राजनीतिक दलों ने जनता को क़ाबू करने के लिए आपस मे ही समझौता कर लिया है। और ख़बरों के सौदागर मानो वही कुछ दिखाते है जो खुद उनके हित में हो। कर्ता पर ही मढ़ दो। ना जांच ना कार्यवाई बाहरसे बाहर ही समझौता। देश की वर्तमान स्थिति को देख कर यही लगता है कि हर राजनीतिक दलों ने जनता को क़ाबू करने के लिए आपस मे ही समझौता कर लिया है। और ख़बरों के सौदागर मानो वही कुछ दिखाते है जो खुद उनके हित में हो।

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