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“हमाम मे सभी नंगे है”

samanvay
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हमाम मे सभी नंगे है“

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आज मेरे मोबाईल पर वरिष्ट पत्रकार डा० महाराज सिंह जी का संदेश मिला,

“कौन कहता है कि हमारे समाज मे समानता नही है! आज भ्र्ष्टाचार करने वाले और भ्र्ष्टाचार मिटाने वाले एक साथ अन्ना की जयकार कर रहे है!”

चिन्तन का विषय यही है कि भ्र्ष्टाचार मिटाने के लिये कोई” मनसा,वाचा,कर्मणा“इस आन्दोलन से जुडा हुआ है अथवा केवल अपने को एक आदर्श भारतीय नागरिक सिद्ध करने के लिये अन्ना की आड मे अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंक रहे है! चाहे वकील हो या व्यापारी अपने संस्थानो मे हड्ताल कर रहे है! क्या ये उस भ्र्ष्ट् तंत्र को अपनी दिन प्रतिदिन की गति विधियों से बढाने मे सहयोग नही करते है? अन्ना का आन्दोलन अब केवल इस तक सीमित है कि प्रधानमंत्री और न्यायाधीष को लोकपाल के अधिकार छेत्र मे भी शामिल किया जाय तथा द्ण्डात्मक अधिकार भी प्रदान किये जाय ! प्रश्न यह है कि क्या इसके लिये इतने बडे आन्दोलन के आव्श्यक्ता थी जब कि लोकपाल विधेयक संसद मे पेश हो चुका है और संशोधन के लिये बहस भी होगी ! यदि यह प्रस्ताव पारित नही होता है तो भी संसद मे वरुण गाँधी वैय्क्तिक बिल पेश करने के लिये संकल्पित है जिसमे अन्ना के सभी बिदु शामिल होंगे !

दूसरा प्रश्न यह है कि क्या भ्र्ष्टाचार सत्युग,द्वापर मे नही था अथ्वा अन्य देशों मे नही है ?हर युग मे यह व्याप्त रहा है कभी सामाजिक,कभी नैतिक और कभी आर्थिक ! बाली का वध भ्रष्ट तरीके से हुआ, कर्ण कुन्ती के कान से पैदा हुआ, द्रौपदी का चीर हरण नैतिक भ्रष्टाचार के उदाहरण है ! दूसरे वाटर गेट स्कैण्डल अमरीका और जापान का लाक हीड काण्ड आर्थिक भ्रष्टाचार के उदाहरण है ! अर्थात हर युग और समाज मे मानव के साथ भ्र्ष्टाचार का बीज भे पनपता है !हाँ यदि उन्मूलन के लिये अन्ना ने पहल की तो उसका स्वागत करना हर नागरिक का कर्तव्य है ! पर यह उन्मूलन अन्ना के आन्दोलन या लोकपाल बिल पारित हो जाने से नही होगा ,उसके लिये युवाओं के अन्दर अदम्य साहस और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगीकि वे भ्र्ष्ट लोगो का न केवल बहिष्कार करे बल्कि उन्हे द्ण्डित कराने के लिये पकडने आगे आयें !

एक फ़िल्म आई थी“हम सब चोर है“जिसका उद्देश्य यही था कि हम सब भीतर से तो भ्र्ष्ट है पर जो पकडा जाता है वही कहलाता है ! आज यही स्थिति ह्हो चुकी है कि जन्म पंजीकरण से म्रत्यु प्रमाण पत्र के लिये रिशवत देनी पड रही है अर मैने भी पिताजी का म्रत्यु प्रमाण्पत्र ३ माह की जद्दोजहद और १०० रुपये देने पडे ! अर्थात मै भी भ्रष्ट हूं “हमाम मे सभी नंगे है!”

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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