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! चिन्तन का विषय यह है कि यदि तुलनात्मक अध्ध्यन किया जाय तो राहुल गाँधी के पछ मे काँग्रेसी बेशक युवा पीढी का नेत्रत्व,नई सोच एवं २१वी सदी का नायक की संञा प्रदान कर दी हो, परन्तु उनकी झोली मे राजनैतिक अनुभव का अभाव सबसे बडी कमी है! किसी विशेष परिवार का वंशज़ होने की व्यवस्था केवल सामन्त वादी समाज मे संभव है न कि समाजवादी प्रजातंत्र मे ! इस प्रकार की व्यवस्थाओ ने ही भारत के प्रजातंत्र को कमज़ोर किया है! यदि किसी पार्टी के भीतर ही प्रजातंत्र नही हो ,तो वह कैसे देश मे उसके स्थापन की परिकल्पना करसकती है ! आज भी किसी वरिष्ठ से वरिष्ठ काँग्रेसी मे हिम्मत नही है कि वह अपने राजनैतिक अनुभव के आधार पर प्रधान मंत्री पद की दावेदारी पेश कर सके ! दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी जैसा कुशल ,योग्य और अनुभवी प्रशासक जिसने न केवल गुजरात बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष मे सफ़ल प्रशासक के नये मान दंड स्थापित कर दिये है! अतः राहुल बनाम नरेन्द्र मोदी की बहस केवल बौद्धिक विकलांगता की परिचायक है ! बोधिसत्व कस्तूरिया
ऎड्वोकेट
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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