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११७वा संशोधन विधेयक 2012

samanvay
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संविधान की धारा १६ मे ११७ वाँ संशोधन बिल राज्य सभा मे पेश किया गया ,जिसका उद्देश्य सरकारी नौकरियों मे प्रमोशन मे भी आरक्छण का रास्ता साफ़ करना है! पेश होते ही सपा सासंद माननीय नरेश अग्रवाल और बसपा सासंद अवतार सिह के बीच विरोध और समर्थन मे हाथापाई हुई ! अभी तो यह हाथापाई माननीयों के बीच हुई,परन्तु वह दिन दूर नहीं जब यह सभी सरकारी महक्मों मे भी आम हो जायेगी ! कल्पना कीजिये कि एक कर्मचारी १५-२० वर्ष के इन्तज़ार कर प्रमोशन के लिये अधिक्रत हुआ तब तक पीछे से एक जूनियर आरक्छण के आधार पर उस पद को हथिया लेता है ! इस मानसिक उत्पीडन और आर्थिक सदमे की परिणति से उत्पन्न होगा आक्रोश ,अपमान और नफ़रत (दलित वर्ग के प्रति), जिसके लिये उत्तरदायी होगा आज का जन मानस और शासक वर्ग ! अभी सवर्ण और दलितों के बीच नफ़रत का बीज संविधान -निर्माताओं ने बोया था,जिसे प्रमोशन मे आरक्छण की खाद देकर फ़ल्ने -फ़ूलने का कार्य कर रही है कांगेस सरकार वो भी २०१४ के चुनाव के लिये ओछे हथकण्डे अपनाकर( वोट बैंक की राजनीत कर) इसका परिणाम होगा सामाजिक विग्रह एवं वित्र्ष्णा ! साथ ही तॆयार हो्गा अकुशल और अयोग्य लोगो का अधिकारी तंत्र, सुयोग्य तक्नीशियनो और कार्मिको का विदेशों को पलायन ,जहाँ नही होती है जातिगत आधार पर आरक्षण की भरमार प्रवेश से लेकर प्रमोशन तक ! कया इसे लागू करके विदेशो मे भारत की कार्य कुशलता को हेय द्र्ष्टी से नही देखा जायेगा ? आज भी विदेशी निवेशको को यहाँ की लाल फ़ीताशाही और भ्र्ष्टाचार के कारण निवेश मे संकोच होता है और तब निश्चित रूप से यहाँ से उन्हे अपना बोरिया बिस्तर समेटना पडेगा !
विगत ६५ वर्षो का इतिहास साछी है कांग्रेस के शासन काल(जो सर्वाधिक समय रहा) मे दलितों को कोई मूलभूत सुविधा जैसे रोटी,कपडा, मकान, शिक्षा,स्वास्थ तक प्राप्त नही हो सकी है ! आज भी उन्हे शौच के लिये खेत मे अद्ध्य्यन के लिये जीर्ण-शीर्ण भवन ,जहाँ अध्यापक् नही होते है,अस्पताल जहाँ डाक्टर नही होते हैं, डाक्टर होते भी होते हैं तो दवायें नही होती हैं राशन की दूकाने है तो राशन नही है ! आखिर आरक्षण की बैसाखी देकर दलितो को इतना असहाय कर दिया कि वे बिना इसके न तो विद्द्यालयों मे प्रवेश पा सके ना नौकरी ! धन्य है काँग्रेस की खोखली विचार-धारा जिसने अपने ही समाज के एक अंग को काटकर सदैव के लिये अपाहिज़ बना दिया और वो भी अन्तररा्ष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को ताक पर रख कर!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा २८२००७

संविधान की धारा १६ मे ११७ वाँ संशोधन बिल राज्य सभा मे पेश किया गया ,जिसका उद्देश्य सरकारी नौकरियों मे प्रमोशन मे भी आरक्छण का रास्ता साफ़ करना है! पेश होते ही सपा सासंद माननीय नरेश अग्रवाल और बसपा सासंद अवतार सिह के बीच विरोध और समर्थन मे हाथापाई हुई ! अभी तो यह हाथापाई माननीयों के बीच हुई,परन्तु वह दिन दूर नहीं जब यह सभी सरकारी महक्मों मे भी आम हो जायेगी ! कल्पना कीजिये कि एक कर्मचारी १५-२० वर्ष के इन्तज़ार कर प्रमोशन के लिये अधिक्रत हुआ तब तक पीछे से एक जूनियर आरक्छण के आधार पर उस पद को हथिया लेता है ! इस मानसिक उत्पीडन और आर्थिक सदमे की परिणति से उत्पन्न होगा आक्रोश ,अपमान और नफ़रत (दलित वर्ग के प्रति), जिसके लिये उत्तरदायी होगा आज का जन मानस और शासक वर्ग ! अभी सवर्ण और दलितों के बीच नफ़रत का बीज संविधान -निर्माताओं ने बोया था,जिसे प्रमोशन मे आरक्छण की खाद देकर फ़ल्ने -फ़ूलने का कार्य कर रही है कांगेस सरकार वो भी २०१४ के चुनाव के लिये ओछे हथकण्डे अपनाकर( वोट बैंक की राजनीत कर) इसका परिणाम होगा सामाजिक विग्रह एवं वित्र्ष्णा ! साथ ही तॆयार हो्गा अकुशल और अयोग्य लोगो का अधिकारी तंत्र, सुयोग्य तक्नीशियनो और कार्मिको का विदेशों को पलायन ,जहाँ नही होती है जातिगत आधार पर आरक्षण की भरमार प्रवेश से लेकर प्रमोशन तक ! कया इसे लागू करके विदेशो मे भारत की कार्य कुशलता को हेय द्र्ष्टी से नही देखा जायेगा ? आज भी विदेशी निवेशको को यहाँ की लाल फ़ीताशाही और भ्र्ष्टाचार के कारण निवेश मे संकोच होता है और तब निश्चित रूप से यहाँ से उन्हे अपना बोरिया बिस्तर समेटना पडेगा !

विगत ६५ वर्षो का इतिहास साछी है कांग्रेस के शासन काल(जो सर्वाधिक समय रहा) मे दलितों को कोई मूलभूत सुविधा जैसे रोटी,कपडा, मकान, शिक्षा,स्वास्थ तक प्राप्त नही हो सकी है ! आज भी उन्हे शौच के लिये खेत मे अद्ध्य्यन के लिये जीर्ण-शीर्ण भवन ,जहाँ अध्यापक् नही होते है,अस्पताल जहाँ डाक्टर नही होते हैं, डाक्टर होते भी होते हैं तो दवायें नही होती हैं राशन की दूकाने है तो राशन नही है ! आखिर आरक्षण की बैसाखी देकर दलितो को इतना असहाय कर दिया कि वे बिना इसके न तो विद्द्यालयों मे प्रवेश पा सके ना नौकरी ! धन्य है काँग्रेस की खोखली विचार-धारा जिसने अपने ही समाज के एक अंग को काटकर सदैव के लिये अपाहिज़ बना दिया और वो भी अन्तररा्ष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को ताक पर रख कर!

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा २८२००७

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