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रिश्तों की गर्माहट,सिर्फ़ सम्बोधन

samanvay
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रिश्तों की गर्माहट,सिर्फ़ सम्बोधन से होती है!
वर्ना हर लडका सर, हर लडकी मैडम होती है!!
माँ,बहन और पत्नी, कितने नज़दीकी रिश्ते है?
समझो जो अन्त्तस से,वरना ये भी सस्ते है!!
माँ वो देवी जिसने तुझको यह संसार दिखाया!
गीले मे खुद सोकर, सूखे मे हरदम तुझे सुलाया!
खुद भूखी रहकर भी, तुझे पंच पकवान खिलाया!!
बहन वही है जिसने तेरा ये पूरा परिवार बनाया!
रिश्तो की बाँध डोर अपने हाथों का झूला बनाया!!
भाई-भाई तो हमेशा लडते और झगड्ते रहते है !
माँ-बहन तेरी खुशहाली की सदा कामना करते है!!
पत्नी वो देवी है जिसने तुझे पूर्ण पुरुष बनाया है!
बन कर जीवन साथी हर झंझावत मे सहलाया है!!
शारीरिक,मानसिक,भौतिक सुख की भन्डार यही है!
माँ सरस्वती,लछ्मी,दुर्गा और मेनका अवतार यही है!!
इन रिश्तों को जिसने जब भी कभी ठुकराया है!
उसने इस मानव तन मे ही, पशु का भेजा पाया है!!
तोड रिश्तो की मर्यादा नर ने नारी को भोग्या सम्झा!
इस समाज ने कर बहिष्कृत,उसे आसाराम बापू समझा!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा-२८२००७

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