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सबका साथ,सबका विकास”

samanvay
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मोदी जी का नारा”सबका साथ,सबका विकास”पूर्णतया मानवतावादी के साथ ही हिन्दुत्व के मूलमंत्र “वसुधैव कुटुम्बकम”पर आधारित है! ओवेसी जैसे क्ट्टरपंथी नेता बेशक इसे राजनीतिक चालबाज़ी कहे,पर सत्यता यही है कि गुज़रात मे ,मुस्लिम समुदाय ने रोज़ी-रोटी मे जो आत्म निर्भरता पाई है बह उ०प्र०,बिहार जैसे प्रान्तो मे उन्की आर्थिक स्थितिमे कोई आशातीत परिवर्तन ७० वर्षो के काँग्रेस,स०पा०,ब०स०पा० के शासन मे तुष्टीकरण के बाव्ज़ूद नही हो पाया !देश,काल और समय का पहिया निरन्तर चलता रहता है,देखने की बात यह है कि उसकी गति धीमी,मध्यम अथवा तीव्र कौन सी थी? चिन्तन का विषय यह है कि आर्थिक छेत्र मे इस समुदाय का योगदान नगण्य है,परन्तु जनसंख्या मे गति ती्व्रतम २४% है जबकि बहुसंख्यक हिन्दुओं की गति१६% है! इसका मुख्य कारण है हिन्दुओ की उदारवादी पृवृत्ति, विकास की अतृप्त अभिलाषा,एवं हिदू धर्म मे शास्त्रार्थ की परम्परा,जबकि इस्लाम मे इन सबका निषेध है!वे आज २१वीं सदी मे विवाह को आत्माओ का मिलन न मानकर १६वी सदी के उलेमाओं के फ़तवे को कुरान की आयत मान ३ शादियों को ज़ायज़ ,अधिकाधिक बच्चे पैदा करने को इस्लाम धर्म की मज़्बूती समझते है,बेशक उन बच्चो को दो वक्त रोटी ,पढाई, चिकित्सा उपलब्ध हो या न हो! मज़हब को बढाना उनका काम है जो हज़रत रसूल कह गये है,परन्तु उन्को रोटी,इल्म और नौकरी देने का दारोमदार शासन का है!और यदि उनकी बढती हुई आबादी को शासन सहूलियते नही दे पा रहा है तो यह काफ़िरो की साज़िश है!आज़ भी उनके मदरसो की हालत यह है कि सरकारी सहायता मिलने के बावज़ूद अँगरेज़ी ,कम्प्यूटर और साइंस की शिछा बेमानी मानी जाती है!फ़िर वेकिस गति स अपना विकास चाहते है,खुद बखुद पता चल जाता है! ओवेसी साहब उनकी वकालत इस लिए कर सकते है क्योकि साधन सम्पन्न है विदेश से ज़िन्ना की मानिन्द बार एट ला कर सके !लेकिन उन गरेब गुर्बा मुसल्मानो के हिमायती होते तो सबसे पहले मदरसों के लिये नई शिछाप्रणाली की हिमायत करते, नकी प्रागैतिहासिक काल की तरह आँख के बदले आँख निकालने ,हाथ काटने की बात करते ,जबकि हम हिन्दू फ़ाँसी जैसे कठोर दंड को भारतीय द्न्ड संहिता से बाहर करने की वकालत
कर रहे है! मै यह नही कह रहा कि हिन्दू क्ट्टर पंथी इस प्रकार की भाषा नही बोलते! मेरा मन्तव्य है कि विकास की बात सुननेमे अच्छी तभी लग सकती है जब सभी अपने स्वयं मे लचीलापन लाकर देश को धर्म और मज़हब से अलग रख इसके विकास मे अपनी उन्नति का सपना संजोये ! स्वच्छता कीबात,झाडू ले फ़ोटो खिंचवाने की बजाय अप्ने घर को रोज़ साफ़ करते है तो गली को और नालियों को सप्ताह् मे एक बार मु्हल्ले के पार्क और कूडेदान को माह मे एक बार करे! मुहल्ला सुधार समिति बना अपने छेत्र की समस्या,पानी,नाली ,बिज़ली आदि से समब्न्धित अधिकारियो को अवगत कराये!”यह आपका अधिकार और कर्तव्य दोनो है!”मोदी के पास विज़न है स्रोत है ,पर आप्के अपने बिना कुछ भी नही होगा!
बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट
२०२ नीरव निकुन्ज सिक्न्दरा आगरा-२८२००७

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